हनुमान जयंती : चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा हनुमान जयंती और शनिवार। हनुमान जी की पूजा सबसे अच्छा दिन। इस दिन बन रहे रवि योग ने इस दिन का महत्व और भी अधिक बढ़ा दिया है। इस संयोग में हनुमान जयंती मनाने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होंगे और संकटमोचक सभी की मनोकामना पूर्ण करेंगे।
यह योग सुबह 5:55 से शुरू होगा और सुबह 8:40 तक रहेगा, इसलिए इस योग में पूजा भी उत्तम फलदायी है। इसके अलावा पूर्णिमा तिथि की बात करें तो यह 16 अप्रैल शनिवार को पूर्णिमा तिथि तड़के 2.25 मिनट पर लगेगी। इसके बाद 17 अप्रैल को 12 बजकर 24 मिनट तक रहेगी। इसलिए पूर्णिमा का स्नान दान और पूजा भी 8.40 तक करना उत्तम रहेगा।
16 अप्रैल सुबह 11:55 से अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:47 मिनट तक
कहते हैं हनुमान जी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाने से भी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसलिए हनुमान जयंती के दिन बाबा की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ना बहुत जरूरी है। इस समय इस मंत्र का जाप करें।
‘मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं। वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये।।’
Puja vidhi :इस दिन हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करना उत्तम रहता है। इस दिन दूध, दही, घी, शहद इत्यादि से पूजन और हवन भी किया जाता है। दिन के तीन पहर हनुमान जी का चोला बदला जाता है। सूतक काल में हनुमान जी की पूजा न करें। इस बात का ध्यान रखें कि पूजा में लाल ,पीले, हरे कपड़े पहन सकते हैं। पूजा में काले कपड़े न पहने। विचारों से लेकर शरीर तक को शुद्ध रखें। हनुमान जी की पूजा में लाल या पीले फूल चढ़ा सकते हैं। ब्रह्मचर्य का पालन करें।
इसके साथ ही सिंदूर, केसरयुक्त चंदन उन्हें लगाएं और धूप-अगरबती, शुद्ध घी का दीप जलाकर आरती करें। इस दिन हनुमान जी को प्रसाद के रुप में गुड़, भीगे या भुने हुए चने, बेसन के लड्डू रख सकते हैं।